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रिटेल में एफडीआई; इतना हंगामा क्यूँ है बरपा!

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सामान्य भाषा में कहा जाए तो किसी एक देश की कंपनी का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) कहलाता है| ऐसे निवेश में निवेशकों को दूसरे देश की उस कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा हासिल हो जाता है जिसमें उसका पैसा लगता है|

एफडीआई द्वारा विदेशी निवेशक भारत में कंपनी शुरू कर यहां के बाजार में प्रवेश कर सकता है| इसके लिए वह किसी भारतीय कंपनी के साथ संयुक्त गठबंधन कर सकता है या पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी यानी सब्सिडियरी शुरू कर सकता है| अगर वह ऐसा नहीं करना चाहता तो यहां इकाई का विदेशी कंपनी का दर्जा बरकरार रखते हुए भारत में संपर्क, परियोजना या शाखा कार्यालय खोल सकते हैं| आमतौर पर यह उम्मीद की जाती है कि एफडीआई निवेशक का दीर्घावधि निवेश होगा, जिसमें उनका वित्त के अलावा दूसरी तरह का भी योगदान होगा.

पिछले दिनों लोकसभा व राज्यसभा दोनो में ही रिटेल में एफडीआई के खिलाफ लेफ्ट का अविश्वास प्रस्ताव ढेर हो गया, मतलब अब देश में खुदरा व्यापार में एफडीआई का रास्ता साफ़ हो गया है| नजर डालते हैं एफडीआई से होने वाले कुछ संभावित फायदे एवँ नुकसानों पर:-

फायदे:-

*देश में विदेशी कम्पनियों का निवेश बढ़ेगा
*उपभोक्ताओं को फायदा होगा, बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था को भी मिलेगा लाभ
*ग्राहकों को मिलेंगी बेहतर सेवाएं एवँ उत्पाद
*रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
*बिचौलिए हटेंगे, उत्पादक को मिलेगी माल की बेहतर कीमत

नुकसान:-

*छोटे दुकानदारों को झेलना पड़ सकता है नुकसान
*भारतीय बाजार पर विदेशियों के एकाधिकार का डर
*स्वरोजगार(किराना व्यापार से जुड़े) के अवसर होंगे कम

कुछ अनुत्तरित प्रश्न:-

फिलहाल भारत में बिग बाजार, रिलायंस, मोर, विशाल मेगा मार्ट और स्पेंसर जैसी कंपनियां किराना स्टोर का कारोबार कर रही हैं| इन कम्पनियों के व्यापार ने एक आम किराना व्यापारी(गली-मोहल्ले की छोटी दुकानों) के व्यापार को कितना प्रभावित किया है? रिटेल में एफडीआई का इन कम्पनियों पर क्या फर्क पड़ेगा? क्या ये विदेशी स्टोरों से मुकाबला करने में सक्षम हैं?

बीमा, टेलिकॉम जैसे क्षेत्रों में विदेशी कंपनियों के आने से देश में हुये सकारात्मक बदलाव सभी के सामने हैं| ऐसे में रिटेल में एफडीआई को लेकर इतना हल्ला मचाना उचित नहीं लगता| अगर वास्तव में किसी के लिए मुसीबतें बढेंगी तो वो हैं बिग बाजार, विशाल मेगामार्ट, स्पेंसर्स, ईजीडे जैसे स्टोर्स जो पहले से ही गलाकाट प्रतियोगिता का सामना कर रहे हैं|
आम उपभोक्ताओं को तो सीधा सीधा फायदा होता ही दिखाई दे रहा है क्यूंकि उनके पास खरीददारी के लिए कई विकल्प और खुल जायेंगे|

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